परिचय
लक्ष्य की स्थापना सिर्फ सही दिशा पाना ही नही होता; यह आकलन करने के बारे में भी है कि आप अपने टारगेट प्वाइंट से कितनी दूर हैं। किसी लक्जरी कार का खरीदना तभी सफलता में गिना जाता है, जब आपका कोई लक्ष्य किसी लक्जरी कार को खरीदने का हो। अगर आपका लक्ष्य पैंटहाउस खरीदना है और आप इसके बजाय एक लक्जरी कार खरीदते हैं, तो इसका यही मतलब है कि आप आपने लक्ष्य से भटक रहे हैं। अगर आप कामयाब होना चाहते हैं तो आपको स्मार्ट लक्ष्यों को सेट करना होगा। लक्ष्य की स्थापना के लिए “लीडरशिप फ़नल” प्रोग्राम आपको
स्मार्ट लक्ष्य सेट करने के लिए तैयार कर सकता है। लक्ष्य की स्थापना करने का मतलब अपनी पसंद की लिस्ट बनाना नहीं होता। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी मदद से आप जो चाहते हैं उसे देख भी सकते हैं और उस तक पहुंच भी सकते हैं।
आपके लक्ष्य को सही दिशा देने में मदद मिले, इसके लिए मेरे पास आसान, लेकिन शक्तिशाली सुझाव हैं जिसे ध्यान में रखकर आप अपने लक्ष्य को सेट कर सकते हैं। लक्ष्य सेट करने के गोल्डन/सुनहरे सिद्धांत यह पांच सुनहरे सिद्धांत हैं जो लक्ष्य सेट करने में आपका मार्गदर्शन करेंगे।
1. लक्ष्य आपका होना चाहिए
– मेरे पिता हमेशा मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थें।
– मेरी बहन एक सफल करोबारी है।
– मैं एक कार खरीदना चाहता हूँ क्योंकि मेरे दोस्त के पास भी है।
– मुझे अपने पड़ोसी की तरह एक सुंदर पत्नी चाहिए।
– यह आपके लक्ष्य नहीं हैं यह बाहर की दुनिया से प्रभावित हैं। आप एक कार खरीदना चाहते हैं, लेकिन सिर्फ इसलिए नहीं कि शर्मा जी के पास भी कार है।
- ऐसे लक्ष्यों को सेट करें जो आपको प्रेरणा दें
यह जरूरी है कि आप ऐसे लक्ष्यों को सेट करें जो आपको प्रेरणा दें। आपको लक्ष्यों से प्रेरणा तभी मिलेगी अगर वो आपके लिए जरूरी होंगे। आप सोचें की 21 मंजिलों की दो इमारतें हैं जो 50 मीटर की दूरी पर हैं। दोनों इमारतों के बीच पांच इंच का एक पुल बना है। अगर मैं आपको 100 रुपये दूं, तो क्या आप उस पुल को पार करेंगे? शायद ऩही। अगर मैं आपको 50,00,000 रुपये दूं तो आप एक बार इसे पार करने के बारे में सोच सकते हैं, लेकिन आखिर में यह जिंदगी तो आपकी है! लेकिन आप एक ऐसे इंसान के बारे में सोचिए जो आपको दुनिया में सबसे ज्यादा प्यारा है। अगर मैं कहूं, के
आपको अपने बच्चे या मां या किसी को बचाने के लिए उस पुल को पार करना होगा, “जिनके बिना आप रह नहीं सकते”, तब शायद आप दो बार नहीं सोचेंगे। लक्ष्य, इसी उदाहरण की तरह है, आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा की जरूरत होती है। आपके जीवन में आपके लक्ष्य बड़े अहम होने चाहिए अगर वो बड़े और अहम या कहें की जरूरी नहीं हैं, तो आप उन पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। लक्ष्यों तक पहुंचने की एकमात्र कुंजी प्रेरणा है यह जानने के लिए कि कोई लक्ष्य आपको प्रेरित करेगा या नहीं, अपने आप से पूछिए कि यह आपके लिए इतना जरूरी क्यों है। मान लीजिए कि आप लक्ष्य के लिए किसी अपने को प्रेरित करना चाहते हों, आप यह कैसे करेंगे? अपने लक्ष्य के चारों ओर एक ” स्पीच” बनाएं जिससे प्रेरणा मिले और इसे वहां लगाएं जहां से आप इसे रोज देख सकें। यह स्पीच हर बार पढ़ें, अगर आपको
घबराहत है तो ऐसा करने से आपकी सारी घबराहत दूर हो जाएगी। “मोटिवेशनल ट्रेनिंग” एक बेहतरीन तरीका है जहां आप पूरे विश्वास से अपने लक्ष्यों तक पहुंच सकते हैं।
- उन्हें लिखें
यह जरूरी है कि हम अपने लक्ष्यों को लिखें। अगर हम ऐसा नहीं करते तो जल्द ही हम उन्हे भूल जाएंगे।
1979 के हार्वर्ड के एम.बी.ए बैच पर किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि 84 फीसदी छात्रों ने कोई लक्ष्य नहीं बनाया, 13 फीसदी छात्रों के दिमाग में उनका लक्ष्य क्लीयर था, लेकिन उन्होने अपने लक्ष्यों को लिखा नहीं था, और केवल 3 फीसदी छात्रों ने लक्ष्य लिखा था। दस साल के बाद एक ही ग्रुप का इंटरव्यू लिया गया और उसका परिणाम वही था जो मैं आपको बताने की कोशिश कर रहा हूं। यह कहानी का एक पक्ष है हम और आप सोच भी नहीं सकते हैं
कि लिखे गए लक्ष्यों ने ही उनके जीवन के रास्तों को बनाया होगा। लक्ष्य को लिखना उसे मजबूत और जीवित करता है।
आप उसे भूल नहीं सकते हैं अगर हर दिन लिखे गए लक्ष्य को देखते हैं, तो आप उसे बदल भी सकते हैं “मैं चाहता हूं कि …” के साथ “मैं करूंगा…” असल में आपने दिमाग में बनी उस छवी को आप होते हुए देखते हैं।
– अपने लक्ष्य की एक स्पीच तैयार करें जो पॉजीटिव, आत्मविश्वास से भरी और जिसे आप कर सकते है।
– अपना काम शुरू करने से पहले हर दिन अपनी स्पीच लिखें
– एक इंडेक्स कार्ड पर इसे लिखें और इसे वहां रखें जहां आप इसे हर समय देख सकते हों।
ऐसा करते समय, आप जो कुछ भी करते हैं, उसके बारे में आप क्लीयर रहें और यह ध्यान में रखें की आप क्या कर रहे हैं। ऐसा करने से आप उन चीजों पर समय बिताने से बच सकते हैं जिन पर समय बिताना जरूरी नहीं था। और आप उन चीजों पर अपना समय बिताएंगे जो आपको आपके लक्ष्य के करीब ले जाए।
- काम की योजना बनाएं और उसे साझा करें
जब एक बार लक्ष्य बन जाता है, तब हम क्या करें? क्या उसे पढ़ने से हमारी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है, या इसके लिए और कुछ करना होगा? बेशक, कुछ और भी है। हमें लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सही कदम उठाने की जरूरत है। सिर्फ सोचकर ही इसका एहसास नहीं होगा। लोग अक्सर यह कदम उठाना भूल जाते हैं और फिर सोचते हैं कि उनके लक्ष्यों का क्या हुआ। अगर आपके सामने एक मजबूत योजना है, तो आप इसे अकेले ही समय रहते हासिल कर सकते हैं।
इस योजना को बनाने से आपको अपने दिन, सप्ताह और महीने को शेड्यूल करने और प्राथमिकता देने में मदद मिलेगी और धीरे-धीरे आपको पता चल जाएगा कि इससे आपके समय की भी बचत हो रही है। लक्ष्यों को दिखाने के लिए उन्हें साझा करना भी जरूरी है। आप खुद को तैयार करने के लिए “कारपोरेट ट्रेनिंग” प्रोग्राम भी देख सकते हैं। और खुद अपनी योजना के मास्टर बन सकते हैं।
गौर करें: आपने अपनी सबसे अच्छे दोस्त शिवानी को बताया
कि आप अगले आठ महीनों में पच्चीस किलो वजन कम करेंगी। वो आपको आठ महीने के बाद मिलती है वो आपके बारे में सबसे पहले ये देखेगी कि आपने अपना वजन कम किया है कि नहीं। वो यह भी कह सकती है कि आप कितने किलो कम कर चुकीं हैं। अपने लक्ष्यों को साझा करने का मतलब है कि वो टेबल से बाहर हैं अब अगर आपको चेहरे को बचाना है, तो आपको उन्हें पूरा करने के लिए काम करना होगा। इस मतलब ये है कि लक्ष्य आपके लिए जिम्मेदारी की भावना पैदा करते हैं और काम करने के लिए आपको मालिकाना हक़ देते हैं। अपने लक्ष्यों को किसी दोस्त को समझाने के लिए, उनसे क्लीयर बात करनी होगी। जब आप क्लीयर होकर बोलेंगे, तब आप न सिर्फ अपने दिमाग में एक पिक्चर बनाते हैं बल्कि उसे बोलकर बताते भी हैं। जिन लोगों के साथ आप अपने लक्ष्यों को साझा करते हैं वो आपको जज करते हैं। और उन्हें पाने के लिए आपकी सहायता कर सकते हैं। अपने लक्ष्यों को उन लोगों के साथ साझा करें जो आपको प्रोत्साहित करते हों, आपके इस सफर में आपको प्रेरित कर सकें और दिल्ली में ऐसे लोगों से जुड़े जो आपको प्रेरित करते हों या अपने स्थानीय क्षेत्र के उन लोगों से जुड़े जो अच्छा बोलते हों। आप इन लोगों के साथ आम लक्ष्यों पर काम कर सकते हैं। ऐसे कई पहलु हैं जिनसे लक्ष्यों को साझा करने में मदद मिलती है, इसलिए एक योजना बनाएं और इसे उन लोगों के साथ साझा करें जो मानसिक और भावनात्मक रूप से आपकी सहायता कर सकते हैं।
- प्रतिज्ञा कार्ड बनाएं
एक इंडेक्स कार्ड पर, अपने सभी वायदों को लिखें और इसे ऐसी जगह रखें कि सुबह पहली नजर इसी पर जाए। अपने आप को हर समय याद दिलाएं कि आप अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं इसकी कसम लें। उस पर अटल रहें और कभी-कभी इसे दोहराएं। लक्ष्य निर्धारित करने के लिए ये गोल्डन रूल्स आपको सही रास्ते पर चलने पर मदद करेंगे।
लक्ष्यों को दिखाने के लिए उन्हें साझा करना भी जरूरी है। आप खुद को तैयार करने के लिए “कारपोरेट ट्रेनिंग” प्रोग्राम भी देख सकते हैं। और खुद अपनी योजना के मास्टर बन सकते हैं। गौर करें: आपने अपनी सबसे अच्छे दोस्त शिवानी को बताया कि आप अगले आठ महीनों में पच्चीस किलो वजन कम करेंगी। वो आपको आठ महीने के बाद मिलती है
वो आपके बारे में सबसे पहले ये देखेगी कि आपने अपना वजन कम किया है कि नहीं। वो यह भी कह सकती है कि आप कितने किलो कम कर चुकीं हैं। अपने लक्ष्यों को साझा करने का मतलब है कि वो टेबल से बाहर हैं अब अगर आपको चेहरे को बचाना है, तो आपको उन्हें पूरा करने के लिए काम करना होगा। इस मतलब ये है कि लक्ष्य आपके लिए जिम्मेदारी की भावना पैदा करते हैं और काम करने के लिए आपको मालिकाना हक़ देते हैं। अपने लक्ष्यों को किसी दोस्त को समझाने के लिए, उनसे क्लीयर बात करनी होगी। जब आप क्लीयर होकर बोलेंगे, तब आप न सिर्फ अपने दिमाग एक पिक्चर बनाते हैं बल्कि उसे बोलकर बताते भी हैं। जिन लोगों के साथ आप अपने लक्ष्यों को साझा करते हैं वो आपको जज करते हैं। और उन्हें पाने के लिए आपकी सहायता कर सकते हैं।
अपने लक्ष्यों को उन लोगों के साथ साझा करें जो आपको प्रोत्साहित करते हों, आपके इस सफर में आपको प्रेरित कर सकें और दिल्ली में ऐसे लोगों से जुड़े जो आपको प्रेरित करते हों या अपने स्थानीय क्षेत्र में प्रेरक वक्ताओं के साथ जुड़े। आप इन लोगों के साथ आम लक्ष्यों पर भी काम कर सकते हैं। ऐसे कई पहलु हैं जिनसे लक्ष्यों को साझा करने में मदद मिलती है, इसलिए एक योजना बनाएं और इसे उन लोगों के साथ साझा करें जो मानसिक और भावनात्मक रूप से आपकी सहायता कर सकते हैं। सफलता की खुशी मनाना हर एक छोटे कदम पर अपनी सफलता की खुशी मनाना भी जरूरी है। तब भी जब आप सफल नही हुए, तब आपको अपना एक कदम पिछे रखना चाहिए और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने प्लान बदलने के बारे में सोचना चाहिए।
“रोम एक दिन में नहीं बना था”।
समय और धीरज ये दोने ही आपके लक्ष्यों को पूरा करने में आपकी सहायता करते हैं। अगर आपने अपने पिछले लक्ष्यों को हासिल कर लिया है तो और कठिन लक्ष्यों को बनाओ। अगर आपने हासिल नहीं किया है तो उसके लिए और अच्छी योजना बनाएं।
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